PAINTING PUBLISHED IN SADIANAMA ROZANA BULLETIN 2023

1964 में भारत सरकार ने लोगों को निवेश सिखाने के लिए एक योजना बनाई जिसका नाम था “यू एस-64″आज यह योजना मर चुकी है, लेकिन इसी आधार पर सौ से ज्यादा योजनाएँ चल रही हैं| जिनमें भारतीयों की पचास हजार करोड़ रुपये’ की पूंजी लगी हुई है | इन योजनाओं में ब्याज का प्रतिशत किसी भी बैंक में जमा किये पैसौ से ज्यादा है | इन योजनाओं को मिच्युल फंड कहते हैं | ऐसे ही एक पैसा कमाने के एक और साधन का नाम है -“पेंटिंग  खरीदना और बेचना ‘|

आज देश में दर्जन से ज्यादा अधिक कला जानकर हैं  जिन्होंने हजारों की  पेन्टिंग खरीदी और बेची हैं | इनमें कुछ के नाम लेना आवश्यक है, जिनमें  “दिनेश वाजीरानी “, ” अमृता जावेरी ” , “अमित कुमार जैन “, ” संगीता जिन्दल “और ” हर्ष गोयनका ” प्रमुख  है |  कौन सी पेन्टिंग खरीदने से ज्यादा में बिकेगी इसका बना हुआ कोई फार्मूला मौजूद नही है|

लखनऊ , उत्तर प्रदेश की राजधानी है कहने को तो यहाँ पर उत्तर प्रदेश राज्य का ” संस्कृति मंत्रालय “भी है | जिसकी गतिविधियां कला के नाम पर जीरो बटे सन्नाटा हैं | ‘राज्य ललित कला अकादमी ‘ और  ललित कला केन्द्र ‘ भी  है  | नब्बे के दशक के आसपास गोमती नगर,   इंदिरानगर में कलादीर्घायें खुलीं और कुछ वर्षों के उपरांत बंद हो गईं | वर्तमान समय में सिर्फ एक गैर सरकारी कलादीर्घा  जो अलीगंज में है |                    

किसी भी पेंटिंग को कैसे खरीदा जाये इसके लिए अलग-अलग लोगों की अलग-अलग  रायें हैं | लेकिन कुछ बाते सामान्य  हैं  जिनसे आपको कलाकृतियों को खरीदने की सोच विकसित हो सकती है  | आप ज्यादा से ज्यादा कलाकृतियों को देखे  , कला के विभिन्न रूपों को समझें  ,  देखते समय  जो पेंटिंग आपके दिल को छू जाये वही पेंटिंग  खरीदने लायक है  और ऐसा करते-करते आप निश्चित रूप से अच्छी पेन्टिंग खरीद लेंगे | कोई भी कलाकृति किसी के कहने, सुनने और अखबार में रिपोर्ट पढकर  ना खरीदें |कोई भी कलाकृति खरीदें तो सही व्यक्ति से खरीदें और लिखा पढी के साथ | वह व्यक्ति कलाकार भी हो सकता है और आर्ट गैलरी का मालिक भी  | जब कलाकृतियों को आप गहरी सम्वेदना से देखेंगे तो पेन्टिंग खुद कह उठेगी मैं आप के साथ चलना चाहूंगी | किसी भी कलाकृति को इस आधार पर तय ना करे कि उसके बारे में गैलरी में रखीं पुस्तिका में अच्छी- अच्छी बातें लिखी हैं |

कलाकृतियों का चुनाव इस आधार पर भी ना करे कि आपके  मित्र ने ठीक वैसी ही या उसी चित्रकार की पेन्टिंग खरीदी है | कलाकृति खरीदना बेहद संजीदा मांमला है और इस मसले को विश्वास और छठी इन्द्रिय से ही तय किया जा सकता है |

पेन्टिंग की खरीद फरोख्त में वृद्धि करने हेतु वर्तमान समय में कला दीर्घाओं के निर्माण के साथ निम्न विषयों पर भी बहुत ध्यान देने की आवश्यकता है |

1- जनसमूह और कलाकारों के बीच समन्वय स्थापित करना  ,

2- समय-समय पर कला सेमिनारों का आयोजन करना  ,

3- पेन्टिंग के रख-रखाव की उचित व्यवस्था करना  ,

4-  कलाकारों के लिए कला  प्रदर्शनियों लिए स्थाई-अस्थाई प्रायोजक ,

5- अन्य क्षेत्रों के निवेशकों को कला क्षेत्र से जोडना जिससे पेन्टिंग की ब्रिक्री में वृद्धि हो सकें  

कला और कलाकृतियां ही ऐसे माध्यम हैं जो वर्षों-वर्षो तक हमारी संस्कृति को आगे आने वाली नयी पीढ़ियों तक जिन्दा रह सकती हैं  |  निवेश ठीक वैसा ही है जैसे आम के आम गुठलियों के दाम। अगली पीढ़ी तक कला को जीवित रखने के लिए प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने स्तर पर सहयोग करना जरूरी है।

 रेणु सिंह

सह संपादक

 लेखिका लखनऊ में रहती हैं एवं कला मर्मज्ञ हैं ।

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